Add To collaction

लेखनी कहानी -20-Mar-2023 मोबाइल और नेट

वो दिन कुछ और थे, जमाना कुछ और था 
मेल मुलाकातों में वक्त गुजारने पर जोर था 
ये मोबाइल और इंटरनेट न जाने कहां से आ गया 
ना दिन भर की हैलो हैलो थी ना वीडियो का शोर था 

दिन भर व्हाट्सएप पर कोई चैटिंग ना होती थी 
नींद भी थक कर रात को बड़े मजे से सोती थी 
पृथक पृथक रिंगटोन सुनने की आदत नहीं थी 
फेसबुक को भी फेस दिखाने को फुरसत नहीं थी 

यू ट्यूब पर दिन भर वीडियो देखने की जरूरत न थी 
ट्विटर पर रात दिन "ट्वीट" करने की जल्दबाजी न थी 
"इंस्टाग्राम" होता तो उसे भी "टाटा" कर देते सब लोग 
होली , दीपावली , नव वर्ष पर मैसेजेज की बहार न थी 

कमबख्त फोन ने हमारा जीना दुश्वार कर दिया 
रातों की नींद दिन का चैन तार तार कर दिया 
ना कोई हमारे आता है , ना हम किसी के जाते हैं 
इस कमबख्त ने सबका सामाजिक बहिष्कार कर दिया 

श्री हरि 
20.3.23 

   14
4 Comments

अदिति झा

23-Mar-2023 07:42 AM

Nice 👍🏼

Reply

Abhinav ji

21-Mar-2023 08:21 AM

Nice

Reply

बेहतरीन रचना

Reply